जनता दरबार के नाम पर महज जख्म पर मरहम लगाती आई सरकारें
अनिल सागर
देहरादून। जनता दरबार के नाम पर कोसों मील की दूरी तय कर
राजधानी में आने वाले कितनें फरियादियों को न्याय मिलता है, ये बात सरकार और फरियादी दोनों को ही पता है, लेकिन जख्म पर मरहम लगाने का काम हर सरकार करती आ रही है। जो मरहम सरकार देहरादून बुलाकर हजारों ऽर्च कर लगाती है, अगर यही मरहम उसकों घर बैठे लग जाये। तो जख्म का दर्द कुछ कम होता। लेकिन शायद यूपी के विभाजन के बाद अस्तित्व में आई उत्तराऽण्ड की सरकारें अपनी सरकारी मशीनरी पर चाबुक नहीं चला पा रही हैं। यूपी के समय की लऽनऊ में बैंठी सरकारें अगर इसी तरह फरियादियों को बुलाती तो जनता को कितना न्याय दिला पाती, यूपी के समय जिलों के डीएम व पुलिस कप्तान की अहम जोड़ी हुआ करती थी। डीएम व एससपी दोनों जिलों को छोड़कर ग्राम पंचायत से लेकर न्याय पंचायत व नगर पालिकाओं में चौपाल लगाकर समस्याएं सुनते थे। तब लोगों न्याय मिलने की आस लगी रहती थी। इसी आस के सहारे महीने में आने वाले जनता दरबार का इंतजार रहता था। यूपी के समय गढ़वाल व कुमांऊ कमीश्नरी दोनों मंडल के कमिश्नर यूपी में बैंठा करते थे लेकिन राज्य बनने के बाद लोगों को लगा कि अब कुंमाऊ व गढ़वाल कमिश्नरी बनने से उनको राहत मिलेगी। गढ़वाल के लोगों को जहां देहरादून व सहारनपुर जाना पड़ता था वही ऊधम सिंह नगर व कुमांऊ के लोगों को बरेली या नैनीताल की दौड़ लगानी पड़ती थी। यूपी के समय नैनीताल जिले को तीन भाग में बांट दिया गया। जिसमें तीन जिले अस्तित्व में आये जिनमें नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, चम्पावत जिनके कप्तान व डीएम नए जिले में बैंठने लगे। लेकिन उत्तराऽण्ड बनने के बाद जो लोगों में आस थी उस पर पानी फिर गया। राज्य बनने के बाद उत्तराऽण्ड में बनी सरकारें सरकारी मशीनरी पर लगाम नही लगा पाई। जो सरकार महीनें में सीएम दरबार और भाजपा मुख्यालय में मंत्री दरबार लगा रही है, क्या उसके कमिश्नर, डीएम,एसएसपी जिला मुख्यालय व मंडल मुख्यालय से बाहर आकर जनता की समस्या नहीं सुन सकते? अगर ये अधिकारी हर माह किसी पंचायत या शहर में जाकर समस्या सुनेंगे तो शायद ही किसी को देहरादून आने की जरूरत पड़े। शायद सरकार के पास जबाव हो कि गढ़वाल या कुंमाऊ कमिश्नर व देहरादून समेंत अन्य जिलों के डीएम ने दुर्गम क्षेत्र में कितने जनता दरबार लगाये, सरकार के पास इसका जबाव मुश्किल ही होगा, सरकार अगर अपने अधिकारियों पर ही सख्ती कर ले तो प्रदेश मुख्यालय पर आने वाले फरियादियों की संख्या कम तो होगी ही साथ ही फरियादियोें को राहत भी मिलेगी।
चुनाव नजदीक आने पर ही आती है जनता की याद
देहरादून। पंचायत व ब्लाक स्तर पर जनता दर्शन कार्यक्रम तो होंगे लेकिन चुनाव नजदीक आने पर। जी हां प्रदेश में आई कांग्रेस व भाजपा सरकार जैसे ही विधानसभा या लोकसभा चुनाव नजदीक आते हैं उससे तीन माह पूर्व ही हर ब्लाक, जिला व पंचायत स्तर पर जनता दर्शन कार्यक्रम शुरू कर देती है, जिसमें प्रदेश के मंत्री, डीएम, कप्तान बड़े जोश ऽरोश के साथ शरीक होते हैं। अभी लोकसभा चुनाव दूर है नजदीक आते ही सरकार को आमजन
की याद आ जायेगी और स्थानीय स्तर पर दरबार सजने शुरू हो जायेंगे।
पेंशन के फरियादियों को लगाने पड़ते हैं चक्कर
देहरादून। ब्लाक स्तर पर जनता दरबार लगाने का मुख्य उदद्वेश्य उन लोगों तक राहत पहुंचाना होता है, जिनकी सुनवाई निचले स्तर पर नही होती है और वो जिला मुख्यालय व प्रदेश मुख्यालय पर नहीं आ पाते, अमुमन देऽा गया है कि दरबार में आने वाले पीड़ित समाज कल्याण विभाग से जुड़े होते है। विधवा, वृद्ध, दिव्यांग जन होते है, जिनकी सैकड़ो चक्कर लगने के बाद भी पेंशन नही लग पाती है। शिविर में ऐसे लाभार्थियों को अधिक लाभ मिलता है।