ताकते रह गई उत्तरा..नहीं पहुंचे पांडे जी

शिक्षा मंत्री ने पहले किया वायदा, फिर कहा नो बकवास..

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देहरादून 3 जुलाई । किसी ने सही कहा था..जो गरजते हैं वो बरसते नहीं! जी हां यह बात उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री के रवैये पर सटीक बैठ रही है। एक जुलाई को उत्तराखं से मिले की बात कहने वाले पांडे आज अपने वायदे से मुकर गये। बताया जा रहा है कि पांडे देहरादून तो पहुंचे मगर उत्तरा उनकी राह ताकती रह गई। हांलाकि  शिक्षा निदेशक आरके कुंवर को उन्होंने उत्तरा के घर भेजा और पफोन पर वार्ता कर मामले को सुलझाने का एक बार पिफर आश्वासन दे दिया।

गौर हो कि गत बृहस्पतिवार की दोपहर को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित जनता दरबार में खुद मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्या को बताने आयी महिला शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पर मुख्यमंत्री ने ऐसा बरताव किया कि देशभर में इस मामले को लेकर कहासुनी हो रही है। जबकि प्रदेशभर के विभिन्न दलों के लोग खुलकर उत्तरा के समर्थन में आ गये हैं। इधर मुख्यमंत्री के आदेश के खिलाफ जहां विपक्ष हमलावर रूख अख्तियार कर रहा है वहीं सत्ता पक्ष के कुछ नेता भी इस मामले को लेकर सहज नहीं है। उत्तराखंड में शिक्षा विभाग से जुडे इस प्रकरण को लेकर घमासान जारी है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जिस प्रकार शिक्षिका को अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाकर सस्पेंड किया गया है उससे सरकार के खिलाफ आक्रेश व्याप्त हो रहा है।

गौर हो कि प्रदेश के शिखा मंत्री अक्सर बड़बोले बयान देकर सुर्खियों आते रहे हैं पिछले दिनो जब मुख्यमंत्री और महिला शिक्षिका के बीच विवाद हुआ तो इस मामले में भी वह अपने अंदाज में ऐसा कह गये जिसका विश्लेषण करने में मीडिया के भी पसीने छूट गये थे। उन्होंने बकायदा उस महिला से फोन पर वार्ता कर आश्वासन दे डाला कि वह सबकुछ ठीक कर देंगे। लेकिन पांडेजी को इस बात का अहसास शायद आज देहरादून पहुंचने के बाद हुआ होगा कि उन्होंने कितने गंभीर मुदद्दे पर हाथा डाला है। देहरादून में तीन जुलाई को उत्तरा से मिलेन का वायदा करने वाले पांडे आज जब राजधानी देहरादून पहुंचे तो उनके तेवर पूरी तरह से ठंडे पड़ गये। हांलाकि वह मीडिया के सवालों का जवाब तो नहीं दे पाये मगर नो कमेंट के सिवाय वह कुछ नहीं बोले। दो दिन पहले ही शिक्षिका उत्तरा के निलंबन को लेकर दिये बयान के बाद आज पांडे की चुप्पी को लेकर भी सवाल खड़े हो गये हैं। समझा जा रहा है कि पांडे को मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार करते हुए महिला से बात करना ठीक नहीं था। पार्टी के नेताओं में भी कुछ इस तरह की टिप्पणी सामने आ रही है। कुलमिलाकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अक्सर अपने बयानों से सुर्खियों में रहे हैं लेकिन आज वह अपने ही वायदे को जानबुझकर भुलाने की कोशिश करते रहे। अपने इस रवैये वह खुद चैतरफा घिर गये हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि शिक्ष मंत्री इस मामले को लेकर क्या नया कर दिखाते हैं।

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