मीडिया जगत ने खो दिया कलम का सच्चा और कर्मठ सिपाही
रूद्रपुर/हल्द्वानी। मीडिया जगत ने आज उत्तराखण्ड का एक कर्मठ निर्भीक और ईमानदार कलम का सिपाही खो दिया है। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार पंकज वार्ष्णेय की असमय हुई मौत से मीडिया जगत के साथ-साथ समाज के अन्य लोग भी सदमे में हैं। पंकज वार्ष्णेय कलम के सच्चे सिपाही तो थे ही साथ ही वह एक जागरूक समाजसेवी भी थे। उन्होंने मीडिया के माध्यम से जहां समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया वहीं समाजसेवा के माध्यम से भी समाज के बेसहारा और निर्बल वर्ग को सहारा भी दिया। पंकज वार्ष्णेय करीब 18 वर्ष से उत्तरांचल दर्पण समाचार पत्र से जुड़े थे। उत्तरांचल दर्पण के कुमांऊ प्रभारी के रूप में काम करते हुए उन्होंने न सिर्फ उत्तरांचल दर्पण को कुमांऊ भर में प्रसिद्धि दिलाई बल्कि खुद भी पत्रकारिता के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में जो मुकाम पंकज वार्ष्णेय ने हासिल किया वह कम लोगों को मिल पाता है। पत्रकारिता जीवन के साथ साथ अपने व्यक्तिगत जीवन में भी पंकज वार्ष्णेय ने कई उतार चढ़ाव देखे। कई बार मुसीबतों का पहाड़ टूटने के बावजूद वह अपने कर्तव्य पथ से नहीं डिगे बल्कि मजबूती से खड़े होकर उन्होंने हर मुसीबत का सामना किया। कुछ साल पहले पंकज वार्ष्णेय के सिर पर सबसे बड़ी मुसीबत तब आई जब उन्होंने एक सड़क दुर्घटना में अपने पूरे परिवार ऽो दिया। एक साथ परिवार के 11 लोगों की मौत के बाद पंकज वार्ष्णेय ने न सिर्फ खुद को बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी जैसे तैसे संभाला। परिवार के साथ हुए इस हादसे ने पंकज वार्ष्णेय को बुरी तरह तोड़कर रख दिया था लेकिन कुछ समय बाद वह जैसे तैसे सामान्य हो पाये और पुनः पत्रकारिता और सामाजिक कार्यों में लग गये। पंकज वार्ष्णेय की इस जीवटता ने समाज को भी प्रेरणा देने का काम किया। हल्द्वानी शहर के साथ ही वह हल्द्वानी या इससे बाहर होने वाले किसी भी सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ़चढ़कर भागीदारी करते थे। रामलीला कमेटी, वैश्य महासभा, उत्तरांचल श्रमजीवी पत्रकार यूनियन सहित कई संगठनों में वह अहम भूमिका निभाकर समाज के लिए काम कर रहे थे। उनके निधन से आज शहर एवं आस पास के क्षेत्र में भी शोक की लहर है।
आंखों के सामने परिवार की लाशें और फोन पर दिया समाचार
रूद्रपुर। पत्रकारिता के क्षेत्र में असंख्य लोगों ने अपना योगदान दिया है। इसमें ऐसे कई उदाहरण हैं कि जिन्हें विस्मृत नहीं किया जा सकता। देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी स्मृति दर्ज करायी है। लेकिन मेरे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक समय ऐसा भी आया कि जब मेरे साथी पत्रकार पंकज वार्ष्णेय के ऊपर दुःखों का पहाड़ टूटा था लेकिन ऐसे समय में भी भाई पंकज अपने पत्रकारिता के कर्तव्यों से विमुख नहीं हुए और उन्होंने ऐसे समय में मुझे समाचार लिखवाया था जिसे मैं ताजिंदगी भूल नहीं सकता। उत्तरांचल दर्पण में मेरा और पंकज वार्ष्णेय का दशकों पुराना नाता रहा है। ऐसे अनेक समय आये कि जब हमने किसी समाचार पर एक साथ काम किया। वर्ष 2009 की बात है कि जब मैं उत्तरांचल दर्पण समाचार पत्र में कार्यरत था तो मेरे मोबाइल पर एक फोन आया और उस व्यक्ति ने स्वयं को हल्द्वानी का निवासी बताते हुए कहा कि ज्ञात हुआ है कि पंकज वार्ष्णेय के परिवार के संग कोई सड़क हादसा हुआ है लेकिन वह पंकज से पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे। तब मैंने पंकज को फोन किया तो पता चला कि वह मुरादाबाद के समीप घटनास्थल पर पहुंचने वाले हैं और थोड़ी देर बाद जानकारी देंगे। लगभग एक घंटे बाद जब मैंने पुनः पंकज को फोन किया तो पंकज भाई जोर जोर से रो रहे थे जिस पर मैं भी घबरा गया और साहस कर मैंने पंकज से पूरी घटना की जानकारी चाही। तब पंकज भाई ने मुझे एक-एक कर अपने पूरे परिवार के सदस्यों के बारे में बताया कि किस प्रकार एक सड़क हादसे में उनके परिवार के 11 सदस्यों की मौत हो गयी थी। तब पंकज भाई के सामने उनके परिवार के 11 सदस्यों की लाशें पड़ी थीं और पंकज भाई मुझे वह समाचार नोट करा रहे थे। पत्रकारिता के क्षेत्र में कई बार ऐसे मुकाम आते हैं कि जब व्यक्ति चाहकर भी समाचार नहीं लिख पाता लेकिन पंकज भाई ने जब मुझे अपने परिजनों का वह समाचार नोट कराया था तो मानों लग रहा था कि प्रकृति ने पंकज भाई को कुछ अलग ही मिट्टी का बनाया है जो संभवतः आज के युग में किसी अन्य के लिए सम्भव नहीं है। आज पंकज भाई हमारे
मध्य नहीं रहे लेकिन जीवन पर्यन्त पंकज भाई हमारे दिलों में रहेंगे।
मौत को कई बार दी मात
रूद्रपुर। निडर होकर पत्रकारिता करने वाले कलमकार पंकज वार्ष्णेय ने मौत को कई बार मात दी थी। कुछ वर्ष पहले जब उनका परिवार एक साथ भीषण हादसे का शिकार हुआ था तब इस यात्र पर पंकज वार्ष्णेय स्वयं भी जाने वाले थे लेकिन उन्होंने अचानक इस यात्र पर जाना टाल दिया। इस हादसे में पंकज की पत्नी पुत्र के साथ ही परिवार के अन्य लोग असमय काल के गाल में समा गये थे। इसके बाद पंकज वार्ष्णेय को निष्पक्ष खबरें लिखने पर कई बाद जान से मारने की धमकियां भी मिली। पिछले वर्ष ही पंकज वार्ष्णेय एक सड़क हादसे के शिकार हो गये थे जिसके बाद वह कई दिन तक कोमा में रहकर मौत से लड़ते रहे आखिरकार उन्होंने मौत से जंग जीती
और फिर से जिंदगी को उसी ढंग से शुरू किया। इससे पहले भी पकज वार्ष्णेय को एक अटैक पड़ा था इसमें भी उनकी जान बमुश्किल बच पाई थी।
डंके की चोट पर की पत्रकारिता
रूद्रपुर। वरिष्ठ पत्रकार पंकज वार्ष्णेय ने जीवन भर डंके की चोट पर पत्रकारिता की। उन्होंने निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता करते हुए कलम के आगे बड़े बड़ों को झुकने पर मजबूर कर दिया। निष्पक्ष और निर्भीक होकर पत्रकारिता करने के चलते ही उन्हें कई बार धमकियां मिली लेकिन वह कभी टस से मस नहीं हुए बल्कि धमकी देने वालों का भी उन्होंने डटकर मुकाबला किया। वास्तव में पंकज वार्ष्णेय ने पत्रकारिता में निजी स्वार्थों को नहीं आने दिया। पिछले दिनों पत्रकारिता के प्रति उनका जुनून तब देखने को मिला जब उन्होंने कवरेज के दौरान पुलिस की लाठियाेंं की भी परवाह नही की जिस कारण उन्हें पुलिस की लाठियों का शिकार होना पड़ा जिसके चलते कई दिनों तक उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। श्री वार्ष्णेय पर पुलिस के इस दमन के चलते पत्रकारिों पुलिस के खिलाफ कई दिनों तक आदोलन भी किये जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने पंकज वार्ष्णेय पर लाठियां बरसाने को लेकर खेद भी व्यक्त किया था।
समाजसेवा में भी कमाया था नाम
रूद्रपुर। वरिष्ठ पत्रकार पंकज वार्ष्णेय आज हमारे बीच नहीं है लेकिन हजारों दिलों में वह हमेशा जिंदा रहेंगे। उन्होंने पत्रकारिता के साथ साथ समाज सेवा से भी नाम कमाया था। कई सामाजिक संगठनों से जुड़े पंकज वार्ष्णेय समाज के लिए कुछ न कुछ करते रहे थे। चाहे कलम के माध्यम से हो या किसी ओर माध्यम से उनकी सोच पूरी तरह समाज के लिए समपित रहती थी। समाज सेवा की भावना के चलते ही शहर में वे समय समय पर कई सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करते रहे थे। अपने दिवंगत परिजनों की याद में वह हर वर्ष बड़े स्तर पर नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन पिछले कई वर्षों से निरतर करते आ रहे थे। हर वर्ष इस शिविर का सैकड़ों मरीज लाभ उठाते आ रहे हैं। इस चिकित्सा शिविर में नेत्र रोगियों को दवाईयां देने के साथ साथ निःशुल्क आप्रेशन भी किये जाते हैं। यहीं नहीं कई अन्य आयोजनों के माध्यम से भी पंकज समाज के जरूरतमंदो को लाभ पहुंचा रहे थे। उनके निधन से समाज को जो क्षति हुई है उसकी भरपाई करना मुश्किल है।
धाार्मिक आयोजनों में भी रहता था विशेष योगदान
रूद्रपुर। दिवंगत पत्रकार पंकज वार्ष्णेय पत्रकारिता और समाजसेवा में तो अग्रणी थे ही साथ ही धार्मिक आयोजनों में भी उनकी अहम भूमिका रहती थी। हल्द्वानी में रामलीला का आयोजन हो गया गणेश महोत्सव इसके अलावा नवरात्र महोत्सव सहित विभिन्न धार्मिक आयोजनों को संपन्न कराने में उनकी अम भूमिका रहती थी। पंकज वार्ष्णेय समय समय पर कला और साहित्य से जुड़े लोगों को भी मंच प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते थे।
दो मासूम बेटियों के सिर से उठा पिता का साया
रुद्रपुर। पत्रकार पंकज वार्ष्णेय का सदैव दुःखों से नाता रहा था। लेकिन अब उनके आकस्मिक निधन से उनकी दो मासूम बेटियों पर दुःखों का पहाड़ आन गिरा है। जिस जीवन की पुनः शुरूआत उन्होंने विवाह कर की थी अब उनकी पत्नी और दो मासूम बेटियां पुनः इस संसार में अकेले रह गयी हैं। पत्रकार पंकज वार्ष्णेय के परिवार के 11 सदस्यों का निधन वर्ष 2009 में एक सड़क हादसे में हो गया था जिसमें उनकी पत्नी और बच्चों की भी मौत हो गयी थी। उस भीषण हादसे से उबरने के बाद पत्रकार पंकज भाई ने नए जीवन की शुरूआत की थी और युवावस्था में पत्नी और बच्चों को खोने के बाद उन्होंने जीवन की गृहस्थी पुनः शुरू की और ललिता से विवाह किया। विवाह के उपरान्त नैनसी और खुशी के रूप में दो बेटियां उन्हें मिलीं। जिंदगी की डगर अब पटरी पर थी लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था कि अचानक गत रात्रि पंकज का भी आकस्मिक निधन हो गया। ऐसे में उनकी पत्नी और दो मासूम बेटियां इस संसार में अकेली रह गयीं।
पंकज की खबर को हाई कोर्ट से मिला था सम्मान
रूद्रपुर। पंकज वार्ष्णेय की निष्पक्ष और निर्विवाद खबर को कुछ वर्ष पहले हाईकोर्ट ने भी सराहा था। दरअसल हल्द्वानी में खुले में पशुओं की बलि होने और नालियों में जानवारों का मांस और खून बहने के मामले का खुलासा पंकज वार्ष्णेय ने अपनी खबर के माध्यम से उत्तरांचल दर्पण में किया था। इस खबर का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने तत्कालीन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को हाईकोर्ट में तलब किया था। इस खबर से चिढ़ते हुए तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने पंकज वार्ष्णेय और उत्तरांचल दर्पण पर भी अनावश्यक दबाव बनाने का प्रयास किया था लेकिन न तो उत्तरांचल दर्पण ने हार मानी और न ही पंकज वार्ष्णेय पीछे हटे। बाद में इस मामले पर हाईकोर्ट ने निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए पंकज वार्ष्णेय और उत्तरांचल दर्पण की सराहना की।