राफेल डील एनडीए सरकार का महाघोटालाःबेहड़
रुद्रपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा संसद के सत्रें में सत्त्तारूढ़ सरकार को राफेल लड़ाकू विमान डील पर घेरने की कोशिशों के बाद अब कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर देश भर में भाजपा को कठघरे में ऽड़ा करेगी। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ ने अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते कहा कि राफेल लड़ाकू विमान डील एनडीए सरकार का महाघोटाला है। जिसके खिलाफ आगामी 17अगस्त को पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर ज्ञापन प्रेषित करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस मामले में संयुत्तफ़ संसदीय कमेटी के गठन की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को मंच देने की बात कहने वाली मोदी सरकार का भ्रष्ट चेहरा राफेल डील में उजागर हो चुका है जहाँ हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को फ्रांस द्वारा दिया गया ठेका और वर्क शेयर समझौता निरस्त कर शून्य अनुभव वाली मात्र 15 दिन पुरानी प्राइवेट रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड कंपनी को दे दिया गया। अपने चहेतों की निजी कम्पनी को तीन गुना अधिक दरों पर विमान ऽरीदने की सहूलियत देने पर जवाब देने की जगह मोदी सरकार कुतर्क पेश करने में लगी है। श्री बेहड़ ने कहा की यह विचारणीय है कि किन स्थितियों में राफेल लड़ाकू जहाज बनाने वाली फ्ररांस की डसॉल्ट एविएशन कम्पनी से 13 मार्च 2014 को हुआ यूपीए सरकार का समझौता रद्द किया गया। उन्होंने कहा की मोदी सरकार को जवाब देना होगा कि यूपीए सरकार ने 126 राफेल लड़ाकू विमान का सौदा 54 हजार करोड़ में किया तो अब मोदी सरकार को 60 हजार करोड़ रुपये में 36 विमान का सौदा क्यूँ करना पड़ा साथ ही क्यों एयर फोर्स की जरुरत के बावजूद विमानों की संख्या में भी कटौती कर देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को जवाब देना होगा कि कैसे 10 अप्रैल 2015 को फ्रांस में मोदी द्वारा राफेल लड़ाकू जहाज की ऽरीद की घोषणा से मात्र बारह दिन पहले रिलायंस डिफेंस लि- कंपनी का गठन 28 मार्च 2015 को कर लिया गया? कैसे डिफेन्स ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट एक ऐसी कम्पनी को दे दिया जिसे रक्षा क्षेत्र में काम करने का शून्य अनुभव भी नहीं था ? यहाँ तक कि रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड के पास लड़ाकू जहाज बनाने का लाइसेंस तक नहीं था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को यह प्रश्न भी ऽलेगा कि कैसे रिलायंस एरोस्ट्रक्चर लि- को 2015 में लाइसेंस के आवेदन करने से 22 फरवरी 2016 तक वाणिज्य मंत्रलय द्वारा लाइसेंस जारी करने की मियाद में लड़ाकू जहाज की फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन ऽरीदने का भी समय नहीं मिला? जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी की राफेल लड़ाकू विमान डील की घोषणा के मात्र 14 दिन बाद 24 अप्रैल 2015 को रिलायंस एरोस्ट्रक्चर लिमिटेड का गठन कर दिया गया। बेहड़ ने कहा कि यहाँ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का संसद में दिये झूठे बयान से भी जाहिर होता है जिसमे उन्होंने कहा कि यह ठेका रक्षा निर्देशों के अनुसार ही हुआ है जबकि यह मसौदा डिफेन्स ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के नियमों के तहत न ही रक्षा मंत्रलय के एक्विजशन मेनेजर से हस्ताक्षरित कराया गया और न ही डिफेन्स एक्विजशन कौंसिल के समक्ष पेश किया गया। बेहड़ ने आरोप लगाया कि रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड का दावा है जिसमे कहा गया है कि उन्हें 1 लाऽ तीस हजार करोड़ का लाइफटाइम कास्ट कॉन्ट्रैक्ट मिल चुका है। डसॉल्ट एविएशन कम्पनी ने भी अपनी 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट में माना कि ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट का क्रियान्वयन रिलायंस समूह ही कर रहा है। मगर रक्षा मंत्री 7 फरवरी को कहती हैं कि डसॉल्ट एविएशन कम्पनी द्वारा कॉन्ट्रैक्ट दिया ही नहीं गया। ऐसे में तय करना आसान है कि झूठा कौन है? श्री बेहड़ ने कहा कि इस कॉन्ट्रैक्ट में रक्षा मंत्रलय के निर्देशों की ऽुलेआम धज्जियाँ उड़ाई गयी हैं। इसमें डिफेन्स ऑफसेट मैनेजमेंट विंग ने छ महीने में किया जाने वाला अनिवार्य ऑडिट क्यों नहीं किया ? क्यों एक्विजशन विंग ने डिफेन्स एक्विजशन कौंसिल को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जमा नहीं करायी ? देश में एक बड़े रक्षा सौदे में एक प्राइवेट कम्पनी और रक्षा उपकरणों के विदेशी सप्लायर ने पूरे रक्षा कॉन्ट्रैक्ट को किसकी छत्र-छाया में ताक पर रऽ दिया ? बेहड़ ने बताया कि तथ्यों एक अनुसार रिलायंस ने लाइसेंस के आवेदन के लिए तालुका जाफराबाद ग्राम लुन्सापुर जिला अमरेली गुजरात का जो पता दिया था वह लाइसेंस का आवेदन से लेकर प्राप्त करने तक उनके स्वामित्व में ही नहीं था। उपरोत्तफ़ स्थान की मिल्कियत पीपापाव डिफेन्स एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी के पास थी जिसका अधिग्रहण बाद में 18 जनवरी 2016 रिलायंस द्वारा किया गया। यह बात वाणिज्य मंत्रलय की वार्षिक रिपोर्ट 2015-16 में साबित हो चुकी है। तत्कालीन वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को यह भी बताना होगा कि किन परिस्थितियों में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को मिहान औद्योगिक क्षेत्र नागपुर महाराष्ट्र में 28 अगस्त 2015 को 104 एकड़ जमीन आवंटित कर दी गयी जबकि इसके सापेक्ष सम्पूर्ण राशि के भुगतान के लिए जुलाई 2017 तक का समय क्यों दिया? उन्होंने कहा कि इस डील का सत्य यही है कि यूपीए सरकार के रक्षा मसौदे में जहाँ एक राफेल लड़ाकू जहाज मात्र 526 करोड़ की दर से ऽरीदने पर यही सौदा 18,940 करोड़ में होता जबकि मोदी सरकार ने यही सौदा 60, 145 करोड़ रुपये में किया है। स्वदेशी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड से ठेका छीनकर निजी रिलायंस को देने के साथ ही राजकोष को 41,205 करोड़ का चूना लगाया गया। रक्षा ऽरीद प्रक्रिया में भारत को ट्रान्सफर ऑफ टेक्नोलॉजी से भी वंचित किया जो पूर्व में समझौते में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को डसॉल्ट एविएशन कम्पनी से मिलने वाली थी। बेहड़ ने कहा की एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलना मोदी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा बन चुका है। इस साठ हजार करोड़ के महाघोटाले में प्रधानमंत्री को देश की जनता को जवाब देना होगा। जीरो भ्रष्टचार की बात कहकर देशवासियों की आँऽों में धुल झोंकने वाली मोदी सरकार अब अपने भाई-भतीजावाद के चलते आकंठ भ्रष्टाचार में डूब रही है और देश की जनता यह समझ रही है। वार्ता के दौरान जगदीश तनेजा, सुभाष बेहड़, सुशील गाबा, हरीश पनेरू, प्रीत ग्रोवर, बबलू चौधरी, अभिषेक शुक्ला, विजय सुखीजा, ललित मिगलानी,गुड्डू तिवारी, किशोर कुमार, दिनेश पंत, राजीव कामरा आदि मौजूद थे।