‘जागो’ संस्था ने उठाया जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारने का बीड़ा

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समाजसेवियों के सहयोग से शहर की तीन बस्तियों में निशुल्क संचालित किये जा रहे हैं सांयकालीन स्कूल
रूद्रपुर। शहर के कुछ समाजसेवियों ने जागो सामाजिक संस्था के माध्यम से गरीब बच्चों का भविष्य संवारने का बीड़ा उठाया है। पिछले तीन वर्षों से यह संस्था मलिन बस्तियों में निशुल्क सांयकालीन स्कूल खोलकर बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उन्हें व्यवहारिक ज्ञान देकर एक आदर्श नागरिक बनाने के प्रयास में जुटी है। वर्तमान में संस्था के माध्यम से डेढ़ सौ बच्चों को रोजाना शाम को पढ़ाया जाता है। यही नहीं कुछ बच्चों को उनकी शिक्षा दीक्षा के लिए उन्हें गोद भी लिया गया है। जागो सामाजिक संस्था का गठन शहर के कुछ समाजसेवियों ने जरूरतमंद बच्चों में वैचारिक, सामाजिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक जागृति लाने में के उद्देश्य से किया है। वर्तमान में संस्था के अध्यक्ष अविनाश कुमार और सचिव नवीन चिलाना हैं जबकि संरक्षक पवन अग्रवाल को बनाया गया है। इनके अलावा अन्य सहयोगियों के रूप में वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ अशोक गर्ग, राजेन्द्र प्रसाद, डॉ गीता किरण, संजय सिंह, डॉ दीपक पांडेय, डॉ भारती पांडेय, वजाहत ऽान, बालकृष्ण कामरा, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, जीवन बिष्ट, अनुज गुप्ता, जसवंत पाहवा, सुमित अग्रवाल आदि भी जुड़े हैं। वर्ष 2012 में समाजसेवियों ने इस संस्था का गठन करके एक सेवा का संकल्प लिया था। शुरूआत में इस संगठन के माध्यम से समाज को जागरूक करने के प्रयास किये गये। विभिन्न नाटकों के माध्यम से संस्था ने लोगों को शिक्षा, नशा मुक्ति सहित अन्य मुद्दों पर जागरूक किया। संस्था के पदाधिकारियों का मानना है कि व्यक्ति समाज में किसी भी पद या भूमिका में हो लेकिन सभी में सबसे पहले इंसानियत होनी चाहिए। इसी उद्देश्य के साथ वर्ष 2015 में जागो संस्था के बैनरतले कई कई सामाजिक कार्य करने का बीड़ा उठाया गया। मई 2015 में संस्था ने शहर की बस्तियों में सामाजिक कार्यों को विस्तार देने के उद्देश्य से बस्तियों में शिक्षा और वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करने के साथ ही बच्चों को शिक्षित कर तकनीकी कौशल से जोड़ना एवं उन्हें अपने बुनियादी हकों के लिए जागरूक कर समाज के प्रति जिम्मेदार बनाने का काम शुरू किया। इसी के सबसे पहले भदईपुरा में जरूरतमंद बच्चों के लिए सांयकालीन स्कूल की शुरूआत की गयी। शुरुआत में इसमें 25 बच्चों को जोड़ा गया और इन्हें रोजाना शाम को दो तीन घंटे निशुल्क शिक्षा दी जाने लगी। धीरे धीरे इस सांयकालीन स्कूल में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती गयी। वर्तमान में भदईपुरा में संचालित स्कूल में करीब 80 बच्चे दोपहर तक स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के बाद शाम को निशुल्क संचालित किये जा रहे स्कूल में भी अपना भविष्य संवार रहे हैं। भदईपुरा में चल रहे स्कूल में भदईपुरा के साथ साथ शांति कॉलोनी, दूधिया नगर और पहाडगंज से भी बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। मलिन बस्ती के बच्चो में पढ़ाई के प्रति रूचि को देखकर वर्ष 2016 में संस्था की ओर से भदईपुरा में एक पुस्तकालय भी खोला गया है। इसमें बच्चों को कहानियाँ, उपन्यास, कविताएं, पत्रिकाएँ, विज्ञान, इतिहास, देश के स्वतंत्रता आंदोलन आदि विषयों की किताबें उपलब्ध कराई गयी है। सप्ताह में एक दिन पुस्तकालय के लिए रऽा गया इस दिन बच्चे पुस्तकालय में अपनी पसंद की पुस्तकें पढ़ते हैं। साथ ही बड़े बच्चे छोटे बच्चों को विभिन्न जानकारियां भी देते हैं। साथ ही बच्चों के साथ किसी विषय पर व्यापक चर्चा कर उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया जाता है। समय समय प र बच्चों को ज्ञानवर्धक अच्छी फिल्में भी दिखाई जाती है। भदईपुरा में निशुल्क स्कूल की सफलता के बाद संस्था ने 2017 में रम्पुरा और ट्रांजिट कैम्प में भी ऐसे स्कूल खोले हैं। इन स्कूलों में भी करीब 70 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा आठ बच्चों को संस्था ने उनकी स्कूली शिक्षा के लिए गोद भी लिया है। निशुल्क स्कूल को निरंतर संचालित करने के लिए संस्था बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को अध्यापक के रूप में भी तराश रही है। इसके लिए 10-15 बच्चों की टीम तैयार कर उन्हें जिम्मेवारियां सौंपी गयी हैं जो निशुल्क शिक्षा के इस अभियान में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। कुल मिलाकर समाजसेवियों की यह पहल जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित बनाने के साथ साथ उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाने की दिशा में अपनी अहम भूमिका निभा रही है। ऐसे अभियान में अन्य समाजसेवयों को भी जुड़कर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। संस्था के अविनाश कुमार एवं सचिव नवीन चिलाना का कहना है संस्था का यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। भविष्य में इस अभियान को और अधिक विस्तार देने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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