जनहित याचिका करने वाले पर लगवाया 14-22 लाख का टैक्स

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काशीपुर। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में टैक्स चोरी सिडिकेेट की जांच के लिए जनहित याचिका करने वाले व्यक्ति पर उत्तराखंड के कर अधिकारियों ने उ0प्र0 के कर अधिकारियों से दो केसों में रू-14 लाख 22 हजार 722 का टैक्स लगवा दिया है। इसके अतिरिक्त तीन और केसों में टैक्स लगाने के लिए कार्यवाही चल रही है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को एडवोकेट जनरल कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के महाधिवक्ता कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से टैक्स चोरी सिडिकेट की जांच हेतु की गयी जनहित याचिका सं0 123 सन 2017 में न्यायालय में याचिकाकर्ता, सरकार व प्रतिवादियों की ओर से दाखिल शपथपत्रें की प्रतिलिपि की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में महाधिवक्ता कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी सी0बी0सिंह ने अपने पत्रंक 73 दिनांक 11-07-2018 से यह प्रतियां उपलब्ध करायी है। इसमें उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, वित्त सचिव अमित सिंह नेगी, अपर सचिव वित्त अर्जुन सिंह, राज्य कर आयुक्त श्रीमति सौजन्या के शपथ पत्र शामिल है। इन चारों शपथपत्रें में याचिकाकर्ता धर्मेन्द्र सिंह पर टैक्स चोर होने का आरोप लगाया गया है तथा इसके समर्थन में उ0प्र0 के कमिश्नर के पत्र तथा दो वर्ष के केसों के कर निर्धारण आदेश लगाये गये है जिसमें याचिकाकर्ता पर रू- 14-22 लाख रूपये का वैट लगाया गया है। श्री नदीम को उपलब्ध कराये गये शपथपत्रें में लगे पत्रें तथा टैक्स लगाने के आदेशों से यह स्पष्ट है कि यह टैक्स जनहित याचिका के प्रतिवादी सं0 12 ज्वाइंट कमिश्नर राज्य कर ने उ0प्र0 के टैक्स अधिकारियों से पत्र व्यवहार करके लगवाया है तथा इसके लिये दोनों प्रदेशों के कमिश्नर कार्यालय ने भी पत्र व्यवहार किया है। जनहित याचिका में उत्तराखंड सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्रें में लगाये गये कमिश्नर वाणिज्यकर उ0प्र0 लखनऊ के आयुक्त राज्य कर उत्तराखंड को 24 मई 2019 को प्रेषित पत्रंक 472 में उनके अर्द्धशासकीय पत्र 536 दिनांक 04-05-18 के उत्तर में स्पष्ट लिखा है कि धर्मेन्द्र सिंह का वर्ष 2014-15 एक 2015-16 का कर निर्धारण आदेश कर दिया गया है तथा वर्ष 2013-14 के कर निर्धारण के लिये कार्यवाही कर दी गयी है तथा 2016-17 तथा 2017-18 के कर निर्धारण हेतु नोटिस जारी कर दिये गये है। श्री नदीम को उपलब्ध शपथपत्रें के साथ लगे कर निर्धारण आदेश पूरी कहानी खुद ही स्पष्ट करते हैं। इसके अनुसार संयुक्त आयुक्त राज्य कर (एस-टी-एफ/टैक्स रिव्यू/प्रर्तन) हरिद्वार उत्तराखंड के पत्र सं- 547 दिनांक 9-03-2018 से उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता द्वारा लगाये गये आयकर रिटर्न की फोटो प्रतियां एडी0कमि0ग्रेड-1, मेरठ जाने को उपलब्ध करा दी उन्होंने अपने पत्र सं0 3174 दिनांक 16-03-2018 से इन्हें टैक्स लगाने की कार्यवाही करने को असिस्टैंट कमिश्नर सरधना (मेरठ) को उपलब्ध करा दिया। उन्होेंने आयकर विभाग से उसके टर्नओवर की सूचना प्राप्त करके दो सालों 2014-15 व 2015-16 के केसों को एक पक्षीय करके 2014-15 में 21-53 लाख का टर्नओवर मानते हुये खरीद व बिक्री दोनों पर 15-5 प्रतिशत की दर से 6 लाख 27 हजार 670 रू- का टैक्स लगा दिया है। 2015-16 के केस में आयकर विभाग से प्राप्त टर्नओवर रू- 27-28 लाख की खरीद-बिक्री दोनों पर 15-5 प्रतिशत की दर से 7 लाख 95 हजार 54 रूपये का टैक्स लगा दिया है। आश्चर्य जनक बात यह है कि एडिशल कमिश्नर मेरठ के पत्र से तीन दिन बाद की सुनवाई की तिथि 19-03-2018 दिखाई गयी है तथा एक ही तारीख में अनुपस्थित दिखाकर 27-03-2018 को वर्ष 2014-15 में केस में टैक्स भी लगा दिया गया है।

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