श्री शंकराचार्य मंदिरःजिसके चरणों में बसा श्रीनगर
शंकराचार्य पर्वत पर स्थित श्री शंकराचार्य जी का मन्दिर अपनी प्राचीनता के लिये विश्व प्रसिद्व है। यहां पर आद्यश्री शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग है। इस स्थान को दुर्गा नाग मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर में आद्यश्री शंकरा चार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग है। श्रीनगर से लगभग एक हजार फीट की ऊंचाई पर बने इस मन्दिर से दृश्य देखने पर ऐसा लगता है मानो पूरा श्रीनगर ही मन्दिर के चरणों में बसा है। जिस पर्वत पर ये मन्दिर हैं उसे भी श्री शंकराचार्य पर्वत कहते हैं। तीन किलोमीटर की कठिन चढ़ाई के बाद श्रम से क्लान्त यात्री मन्दिर की भव्य शिवलिंग के दर्शन करके सारा श्रम भूल जाता है। वर्तमान में इस मन्दिर तक ऑटो भी चलने लगे है। जिसके कारण बहुत कम समय में मन्दिर तक पहुॅचा जा सकता है। पुरातत्वविदों के अनुसार ये मन्दिर लगभग दो हजार वर्ष पुराना है। मन्दिर के शुरू में आद्य शंकराचार्य जी की प्रतिमा भी लगी हुयी है। मन्दिर के पास आद्य श्री शंकराचार्य जी की गुफा भी है। बताया जाता है कि आद्य श्री शंकराचार्य जी इसी गुफा में बैठ तपस्या किया करते थे तथा यही से आद्य शंकराचार्य जी अन्य स्थानों पर भी भ्रमण जाते थे। इसी गुफा में भगवान शिव ने आद्य श्री शंकराचार्य जी को दर्शन दिये गये थे। श्रद्धालुगण पूरी श्रद्धा के साथ इस गुफा में माथा टेक मन्नते मांगते है। आद्य श्री शंकराचार्य जी का जन्म केरल राज्य में होने की वजह से केरल, तमिलनाडू,कर्नाटक के अधिकांश उनके अनुयायी हैं और वह प्रतिवर्ष इस मन्दिर में माथा टेकने आते है। बद्रीनाथ धाम की स्थापना भी आद्य शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। वहीं श्री अमरनाथ यात्र पर आने वाले भक्तगण एवं कश्मीर आने वाले अधिकाशं पर्यटक भी मन्दिर में आद्य श्री शंकराचार्य द्वारा स्थापित शिवलिंग के दर्शन के लिये अवश्य आते है। मन्दिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का सम्बंध करीब दो हजार वर्ष प्राचीन होने से इस मन्दिर की मान्यता भी कफी अधिक है। मन्दिर के नीचे श्री शंकराचार्य मठ हैं। कश्मीर के अन्य मन्दिरों में क्षीर भवानी,अनन्त नाग और मार्तण्ड मन्दिर प्रमुख है। मार्तण्ड मन्दिर श्री नगर पहलगांव मार्ग में हैं। क्षीर भवानी मन्दिर पर ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी के मौक पर भारी मेला लगता है। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष काफी संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। मेले के दौरान मन्दिर के आस-पास काफी दुकाने लगती है। हस्तकला एवं काष्ठकला से सम्बन्धित सामान बहुत कम ही दामों पर बिकता है। इसी मन्दिर से आप सारे श्रीनगर का दृश्य देख सकते हैं। इस मन्दिर तक जाने के लिए दो रास्ते है। एक पैदल और दूसरा सड़क द्वारा। इस सड़क की कुल लम्बाई आठ किलो मीटर है। प्रत्येक यात्री के लिए यह स्थान बहुत महत्व रखता है।
गुफा से निकलती सफेद भस्म एवं जल का महत्व
श्री अमरनाथ की पावन गुफा के नीचे पवित्र अमरगंगा का प्रवाह हैं। यात्रीगण अमरगंगा में स्नान करके गुफा में दर्शन के लिये जाते है। गुफा के पास एक स्थान पर सफेद-भस्म जैसी मिट्टी निकलती हैं। यात्री इसको अपने शरीर पर लगाकर श्री अमरनाथ के दर्शन करते हैं तथा प्रसाद रूप में घर को भी लाते है। श्री अमरनाथ गुफा से निकल रही इस सफेद भस्म के लिये लोगों को काफी समय तक इंतजार करना पड़ता हैं,क्योंकि इसको प्राप्त करने के लिये काफी लोग एकत्र होते हैं। मान्यता हैं कि गुफा से निकल रही सफेद भस्म को शरीर में मलने से शरीर के सारे दोष दूर हो जाते है। यहां आने वाले शिवभक्त इस सफेद भस्म को घर ले जाना नही भूलते हैं। वहीं गुफा में बूंद-बूंद के रूप में टपक रहे जल को भी श्रद्धालु कैन में भरकर पवित्र जल के रूप में घर ले जाते है। जल को प्राप्त करने के लिये भी यात्रियों को काफी
समय तक इंतजार करना पड़ता है। इस गुफा में आने वाले प्रत्येक यात्री
को अनिवर्चनीय अद्भुत- सात्विकता और शांति का अनुभव होता है।
वास्तव में जिन्हें दर्शनों का सौभाग्य मिला हैं, केवल वही भक्त समझ सकते हैं कि पवित्र गुफा में प्रवेश करके कितना असीम आनन्द प्राप्त होता है।
भण्डारे की सेवा किसी आश्चर्य से कम नहीं
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिये आ रहे यात्रियों के काफिले और उनके मुख से गूंज रहे जयकारे। अमरनाथ यात्र के विभिन्न पड़ावों पर यह सब नजारा देखते ही बनता है। बाबा अमरनाथ की यात्र शुरू होते ही भारत ही नही अपितु पूरे विश्व से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिये शिवभक्तों का घाटी आना शुरू हो जाता है। वही दूरदराज से आने वाले इन यात्रियों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े इसके लिये भोले के भक्तों द्वारा जगह-जगह लंगर लगाकर सेवा की जाती है। जिसे देख वहां आने वाले यात्री भी भोले की इस माया को देख चकित रह जाते है। भोले के भक्तो द्वारा यात्र के मार्ग पर जगह-जगह विशाल भण्डारें आयोजित कर यात्र पर आने वाले यात्रियों की पूरी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है और हर वस्तु की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है। बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए यात्रियों की संख्या में हर वर्ष इजाफा हो रहा है। वही भण्डारे वालों ने भी यात्रियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी कर उन्हें हर जरूरत की चीज उपलब्ध कराने में कोई कोर कसर नही छोड़ी है। भंडारा भी हर वर्ष अौर बढ़ता जाता है। भण्डारे की शुरूआत पठानकोट से ही हो जाती है। यहां 24 घंटे भण्डारे वाले भोले भक्तों के लिए उपस्थित रहकर उनकी हर प्रकार की सेवा करते हैं। भण्डारा आयोजकों का उत्साह देखकर यात्री भी आध्यात्मिक अनुभव करते हुए भोले की धुन में खो जाते है। बाबा भक्तों द्वारा की जा रही सेवा देखते ही बनती है। जहां एक ओर यात्री अपना सामान ढोने में इतनी दिक्कत का सामना करता है। वही इन सेवादारों द्वारा इतना सामान इतनी ऊंचाई पर पहुंचाकर दिन-रात भण्डारे की जो सेवा की जा रही है उसकों व्यक्त नही किया जा सकता है। यात्र के शुरू होने से पूर्व ही जगह-जगह भण्डारें उपलब्ध हो जाते हैं। यात्र के प्रथम चरण पहलगांव में भी बड़े स्तर पर भण्डारे की व्यवस्था सेवा दारों द्वारा की जाती है। उसके पश्चात चन्दनवाड़ी में भी सेवादारों द्वारा अलग-अलग पण्डाल लगाकर भण्डारे लगाये जाते हैं। इसके पश्चात पोषपत्री, शेषनाग, पंचतरणी और पवित्र गुफा के पास कई समितियों द्वारा भण्डारे लगाकर यात्रियों की सेवा की जाती है। वहीं श्री अमरनाथ धाम के दूसरे मार्ग बालटाल पर भी बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा भण्डारे की व्यवस्था की जाती है। इन भण्डारों की खासियत यह है कि यह किसी विवाह समारोह की किसी दावत से कम नही बल्कि उनसे भी कई कदम आगे है। पूरे दो माह चलने वाले इन भण्डारों की छटा देखते ही बनती है। अपने-अपने घरों से इतनी दूर पूरे दो माह तक विपरीत मौसम में यात्रियों की हो रही सेवा को देखते ही मन में इन सेवादारों के प्रति जो भाव पैदा होता है उसका बखान करना बहुत मुश्किल है। भण्डारें में सेवादारों द्वारा यात्रियों की हर प्रकार से सेवा की जाती है। जगह-जगह भक्तों के लिए हर प्रकार की दवाईयां भी उपलब्ध रहती है। किसी जगह दिल्ली तो कही करनाल, कही भाटिंडा तो कही पठानकोट के लोगाें द्वारा भण्डारे लगाये जाते हैं। जगह- जगह भोले के भजन,तो कही बम-बम भोले के जयकारों की धूम ही पूरी यात्र के दौरान गूंजती रहती है। पूरा रास्ता ही शिव मय हो जाता है। पहलगाम से यात्र की शुरूआत करने पर चंदनबाड़ी में काफी संख्या में भण्डारे मिलते है। इन भण्डारों में सेवादार पूर्ण रूप से सेवा भावना से अपने कार्य को अंजाम देते है। भण्डारों में यात्रियों के मनोरंजन के लिये डीजे भी लगाये जाते है, जिसपर यात्री भोले बाबा के भजनों में जमकर नृत्य कर अपनी खुशी का इजहार करते है। वहीं सेवादारों द्वारा भगवान शिव- पार्वती की सुन्दर- सुन्दर झांकियां एवं ताण्डव नृत्य भी प्रस्तुत किया जाता है।