कांग्रेस सरकार में बनी बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग
हाईकोर्ट ने निरस्त किया एकलपीठ का फैसला,सरकार के आदेश को सही ठहराया
नैनीताल।पिछली कांग्रेस सरकार में बनी बदीनाथ केदारनाथ मंदिर समित को आखिरकार हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भंग करने का फैसला दे दिया है। इस मुद्दे को लेकर काफी घमासान मचा था। आज हाई कोर्ट ने सरकार की ओर से भंग बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को बहाल करने संबंधी एकलपीठ के आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही सरकार द्वारा मंदिर समिति को भंग करने के आदेश को सही ठहराया है। हाईकोर्ट के आदेश से भाजपा सरकार को जहां बड़ी राहत मिली तो इसे कांग्रेस के लिये झटका माना जा रहा है। गौर हो कि प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार में बनी समिति को भंग करने का आदेश दिया था। लेकिन मंदिर समिति के सदस्य दिनकर चमोली व दिनकर बाबुलकर ने सरकार के पिछले साल पहली अप्रैल को मंदिर समिति भंग करने के आदेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि समिति को राजनीतिक द्वेशवश भंग किया गया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मंदिर समिति एक्ट-1939 के सेक्शन-11 अ के आधार पर सरकार के समिति भंग करने के आदेश को निरस्त करते हुए समिति को बहाल कर दिया था। इधर पिछले साल आठ जून को सरकार द्वारा एक्ट का संज्ञान लेते हुए समिति को फिर से भंग कर दिया था। समिति सदस्यों द्वारा फिर से सरकार के आदेश को याचिका के जरिये चुनौती दी, जिसके बाद कोर्ट ने फिर से समिति को बहाल कर दिया। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार द्वारा विशेष अपील दायर कर चुनौती दी गई। सरकार की ओर से कहा गया कि मंदिर कमेटी के सेक्शन 2(अ) के तहत सरकार का मंदिर प्रबंधन को लेकर संतुष्ट होना जरूरी है। मंदिर कमेटी के प्रावधानों के विरुद्ध सदस्यों की नियुक्ति होने तथा मंदिर हित व मंदिर प्रबंधन हित में समिति भंग करना जरूरी हो गया था। सरकार द्वारा कमेटी को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति की गई थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद कमेटी भंग करने के सरकार के आदेश को सही ठहराया।