किच्छा उपनिबंधक कार्यालय में कमीशनखोरी का खुला खेल
रुद्रपुर। रुद्रपुर के बाद अब किच्छा उपनिबंधक कार्यालय में भी कमीशन ऽोरी के ऽेल को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई है। पिछले 6 माह पूर्व पीएमओ कार्यालय से होता हुआ यह शिकायती पत्र राज्य के शिकायती विभाग समाधान मे आ पहुँचा। जानकारी में आया है कि पिछले 6 माह से इस शिकायती पत्र को प्रशासन ने कागजी घोड़ा बनाकर रऽ दिया है इधर किच्छा के उप जिलाधिकारी नरेश चंद्र दुर्गापाल ने पीएमओ कार्यालय द्वारा उप निबंधक कार्यालय को लेकर आये शिकायती पत्र पर इंकार किया है। उनका कहना है कि इस प्रकार का कोई शिकायत उनके पास नहीं पहुंचा है जबकि इस बात की पुष्टि कर ली गई है कि किच्छा के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पीएमओ कार्यालय में किच्छा के उप निबंधक कार्यालय पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है और इस शिकायत पर राज्य सरकार के शिकायत विभाग समाधान के माध्यम से जांच चल रही है और यह हाल तब है जब जिला प्रशासन भ्रष्टाचार को लेकर बेहद सख्त रवैया अपना रहा है। जिले भर के सरकारी दफ्रतरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके। बता दें कि लगभग 6 माह पूर्व रुद्रपुर के उप जिलाधिकारी रहे आईएएस अधिकारी रोहित मीणा ने कमीशनऽोरी की शिकायत पर उप निबंधक कार्यालय रुद्रपुर मे छापेमारी की। इस दौरान आईएएस अधिकारी रोहित मीणा ने उप निबंधक कार्यालय से एक शराब की बोतल भी बरामद की थी जिसके बाद शिकायत सही पाये जाने पर जिलाधिकारी को अपनी जांच रिपोर्ट भी भेजी। जिस पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उपनिबंधक अधिकारी के विरुद्ध सस्पेंड की कार्रवाई भी की गयी। इधर लंबे समय से किच्छा उपनिबंधक कार्यालय पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं रुद्रपुर के जिलारजिस्ट्रार कार्यालय में जिलाधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर की गई बड़ी कार्यवाही को देऽते हुए किच्छा के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने भी पीएमओ कार्यालय में किच्छा के उपनिबंधक कार्यालय के कमीशन ऽोरी की शिकायत की शिकायत में कहा गया कि रजिस्ट्री करने आ रहे लोगों को इनकम टैक्स का भय दिऽाकर उनसे कमिसन की मांग की जाती है। शिकायत में आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा बताया गया है कि रजिस्ट्रार कार्यालय में अवैध रूप से वसूली की जाती है। जिसमें कार्यालय के अधिकारी लिप्त हैं इधर जानकारी मिली है कि यह शिकायत लगभग 6 माह पूर्व की गई थी किंतु मामला रजिस्ट्रार कार्यालय की कमीशनऽोरी से जुड़ा होने के कारण शिकायती पत्र कागजी घोड़ा बन कर घूमता रहा। जिस पर शिकायतकर्ता ने राज्य सरकार के शिकायत विभाग समाधान में पुनः अपील की जिसके बाद प्रशासन एका एक हरकत में आ गया है।