देहरादून। एनएच 74 भूमि घोटाले में दो आईएएस अधिकारियों के निलंबन के बाद अधिकारियों को संरक्षण देने वाले नेतागण अब एसआईटी के रडार पर है और शीघ्र ही इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। घोटाले के दौरान बिल्डर्स द्वारा कांग्रेस नेताओ के खाते में लाखों रूपये की धनराशि जमा कराना एसआईटी टीम के लिये महत्वपूर्ण साक्ष्य बन गया है। वैसे तो कांग्रेस सरकार के दौरान 300 करोड़ से अधिक भूमि मुआवजा घोटाले की जांच अब अंतिम पड़ाव में है। लेकिन अभी एसआईटी टीम को इस घोटाले को संरक्षण देने वाले नेताओं की भी तलाश है। प्रदेश के दो बड़े आईएएस अधिकारी डा- पंकज पाण्डे और चन्द्रेश यादव के निलम्बन के बाद इस घोटाले में शामिल अधिकारियों को संरक्षण देने वाले नेतागणों की पहचान की जा रही है। सूत्रें की माने तो एसआईटी टीम के पास इन नेताओं की कुण्डली मौजूद है और उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने के लिये एसआईटी टीम अपने काम में जुटी हुई है। एनएच घोटाले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कल आया बयान इसी कड़ी में देखा जा रहा है। श्री रावत ने स्पष्ट करते हुये कहा कि एनएच भूमि मुआवजा घोटाले को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि राजनैतिक लोग और एनएचएआई भी जांच से बाहर नही है। यदि आवश्यकता पड़ी तो दूसरी एजेंसियों से भी एनएच घोटाले की जांच कराई जाऐगी। मुख्यमंत्री के इस बयान से साफ है कि इस घोटाले को संरक्षण देने वाले लोगों की खैर नही है और उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिलते ही उन्हे भी सलाखों के पीछे धकेला जायेगा। बहरहाल हर किसी को इस घोटाले को संरक्षण दे रहे नेताओं के नामों को जानने का बेसब्री से इंतजार है और वह इन नेताओं को भी सलाखों के पीछे देखना चाहते है। ताकि उत्तराखण्ड के इस बड़े घोटाले में शामिल सभी सभी दोषियों को सजा मिल सके।