उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि पूरे देश में विख्यात है मॉ अटरिया देवी
रूद्रपुर । प्राचीन अटरिया देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ इस समय चरम पर है। बड़ी संख्या में लोग मेले में मां अटरिया देवी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। 200 ईसवी के आसपास बना मां अटरिया धाम लोगों की अगाध श्रद्धा का केंद्र है। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश भर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि निर्माण के बाद किसी आक्रमणकारी ने मंदिर को तोड़ दिया था और मूर्तियों को पास के कुएं में डाल दिया था। प्राचीन ग्रंथ बताते है कि साल 1588 में अकबर का शासन काल था, जिसके बाद तराई का क्षेत्र राजा रूद्र चंद के कब्जे में आया। ऐसा माना जाता है कि एक बार राजा रूद्र इस क्षेत्र के जंगल में घूम रहे थे। इस दौरान उनका रथ का पहिया मंदिर वाले स्थान पर फंस गया। काफी कोशिश के बाद भी रथ का पहिया नहीं निकला, तो वह पास के ही बरगद के पेड़ के नीचे आराम करने लगे। तभी उन्हें स्वपन में माता ने बताया कि जिस स्थान पर रथ का पहिया फंसा हुआ है, उसके नीचे कुआं हैं, जहां पर मेरी प्रतिमा को दबा दिया गया है। जैसे ही राजा जागे और उन्होंने सिपाहियों को खुदवाने में लगाया तो कुएं से माता अटरिया की मूर्ति निकली, जिसके बाद राजा रूद्र ने उस स्थान पर मंदिर बनाया। तब से लेकर अब तक यहां पर हर साल मेले का आयोजन होता रहता है। हर साल मेले में मां की मूर्ति को दर्शन के लिए विराजमान किया जाता है। दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेले को इस बार पहले से आकर्षक बनाया गया है। मन्दिर में मुण्डन की विशेष महत्ता है। दूर-दूर क्षेत्रों से श्रद्धालुगण आकर अपने बच्चों का यहां मुण्डन कराते है। कहा जाता है कि श्रद्धा और सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद को माता अटरिया अवश्य पूर्ण करती हैं।
अटरिया मेले में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
रूद्रपुर। गत 5 अप्रैल को प्रसिद्ध मां अटरिया धाम में मेले का आगाज हुआ था। अटरिया माता के डोले के मंदिर में पहुंचने के साथ ही माता के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लग रहा है। शुरूआत में दो तीन दिन बाहर से आये व्यापारी मेले में दुकानें सजाने में जुटे हुए थे। अप्रैल माह के अंत तक चलने वाले इस मेले में देश के कई राज्यों से श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मेले में मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूले, मौत का कुंआ सहित तमाम व्यवस्थायें की गयी है। वहीं घरेलू सामान, बच्चों के खेलने का सामान, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, श्रंगार सामग्री, बैग,बेल्ट, चश्मा, विभिन्न स्वादिष्ट खान पान के व्यंजन, बर्तन आदि कई वस्तुओं की दुकानें सजी हुई हैं। मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए सभी व्यवस्थायें चाक चौबंद है। वाहनों की पार्किंग व्यवस्था के साथ ही मेले में सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किये हैं। पुलिस कर्मी मेला क्षेत्र में निरंतर चौकस रहकर अराजक तत्वों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। मेले में न सिर्फ जनपद ऊधमसिंह नगर वरन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से भी रोजाना हजारों श्रद्धालु मां अटरिया के दर्शन कर आर्शीवाद लेने पहुंच रहे हैं।