‘पहाड़ी’ बोलने को लेकर शुरू हुआ था विवाद: इस्तीफा देकर फफक पड़े प्रेमचंद्र अग्रवाल
देहरादून। विधानसभा सत्र 2025 में ‘पहाड़ी’ शब्द को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि प्रदेशभर में प्रेमचंद अग्रवाल का चौतरफा विरोधा शुरू हो गया। विपक्ष ने तो मुद्दे को घेरा ही आमजनता में भी अग्रवाल को लेकर आक्रोश था। आमजनता ने अग्रवाल का पुतला फूंक पर अपना विरोधा जताया। नतीजा ये रहा कि अग्रवाल को रविवार को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। प्रेमचंद अग्रवाल बजट सत्र के दौरान सदन में किसी सवाल का जवाब दे रहे थे, इस दौरान विपक्ष की ओर से ‘पहाड़ी’ शब्द को इस्तेमाल करते हुए मंत्री पर तंज कसा गया। जिसके बाद अग्रवाल का पारा चढ़ गया। आरोप है कि इस दौरान मंत्री ने पहाड़ियों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अग्रवाल को फटकार भी लगाई दी। जिसके बाद अग्रवाल ने सदन में माफी मांगी थी। हालांकि इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है। आखिरकार विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सदन में पहाड़ियों पर दिए आपत्तिजनक बयान से विवादों में घिरे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है। उनके बयान से के बाद लागों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया था और जगह जगह विरोधा प्रदर्शन कर भाजपा सरकार से तत्काल उनके इस्तीफे की मांग की जा रही थी। वहीं रविवार सायं कैबिनेट मंत्री ने अपने सरकारी आवास में मीडिया से वार्ता के दौरान इस्तीफा देने की घोषणा करते ही अग्रवाल भाउक हो गये। इस्तीफे की घोषणा करने के बाद उन्होंने सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को त्यागपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने अग्रवाल का त्यागपत्र अग्रिम कार्यवाही के लिए राज्यपाल को भेज दिया है। इससे पहले अग्रवाल पत्नी के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंचे और राज्य आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। बीती फरवरी में हुए बजट सत्र के दौरान सदन में क्षेत्रवाद को लेकर दिए बयान से कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विवादों में घिर गए थे। हालांकि विवाद बढ़ने पर उन्होंने सदन के अंदर व बाहर खेद भी जताया था। लेकिन इससे मचे सियासी घमासान ने भाजपा को असहज कर दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अग्रवाल को पार्टी मुख्यालय में तलब तक स्पष्टीकरण लिया था। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को मंत्री समूह जीओएम का सदस्य नामित किया, जिससे उन्हें कैबिनेट मंत्री से हटाने की चर्चा पर विराम लग गया था। रविवार को अग्रवाल ने पत्नी शशि प्रभा अग्रवाल के साथ रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद यमुना कालोनी स्थित सरकारी आवास पहुंचकर प्रेसवार्ता बुलाई और इस्तीफे की घोषणा कर दी। इस दौरान वह भावुक होकर फफक पड़े। अग्रवाल ने कहा कि उनके जैसे व्यक्ति को साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए क्या योगदान दिया। सदन में उनके बयान को तरोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है, इससे वह आहत हैं। राज्य आंदोलन के दौरान मैंने लाठियां खाई हैं। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मुजफ्रफरनगर कांड, मसूरी गोली कांड से लेकर राज्य आंदोलन से जुड़ीं कई घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री स्व।अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तराखंड के गांधाी इंद्रमणि बडोनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मनोहरकांत ध्यानी, पूर्व राज्य सभा सदस्य मालती शर्मा से जुड़े स्मरण साझा किए। बताया कि मुजफ्फरनगर में गोली चल रही थी, इसके बाद भी वे ट्रक में बैठ कर पहुंचे थे। मसूरी पहुंचे तो हाथ जोड़कर लोगों ने कहा कि यहां से चले जाएं, वर्ना आप का एनकाउंटर हो जाएगा या फिर एनएसए लग जाएगा। प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर: 2007 में पहली बार बने विधायक, सदस्य आवास समिति विधान सभा। 2008 में सदस्य याचिका समिति विधान सभा। 2009 में संसदीय सचिव, औद्योगिक विकास, संबद्ध सीएम। 2012 में दूसरी बार बने विधायक, सदस्य अनुसूचित जाति जनजाति एवं विमुक्त जाति समिति विधान सभा। 2013 में सदस्य आवास समिति विधान सभा। 2014 सदस्य, प्राक्लन समिति विधान सभा। 2017 में तीसरी बार विधायक। 2017 विधान सभा अध्यक्ष। 2017 में कार्यकारी सदस्य राष्ट्रमंडलीय संसदीय संघ, भारत परिक्षेत्र। 2022 में चौथी बार विधायक, कैबिनेट मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीयकार्य, जनगणना एवं पुर्नगठन मंत्री।