उत्तराखंड में 24 साल बाद उठी 31 नई विधानसभाएं बनाने की मांगः 2026 में देशभर में विधानसभा और लोकसभा की सीटों के लिए होना है परिसीमन
टिहरी से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने स्पीकर रितु खंडूरी को लिखा पत्रः उत्तराखंड में 101 विधानसभा सीटें,13 लोकसभा और पांच राज्यसभा सीट बनाने की जरूरत
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में 31 नई विधानसभाएं बनाने की मांग उठ रही है। ये मांग भारतीय जनता पार्टी के विधायक किशोर उपाध्याय द्वारा उठाई गई है। 70 विधानसभा वाले राज्य में 101 विधानसभाएं बनाए जाने की मांग उठाने पर सियासी दलों के रिएक्शन भी सामने आए हैं। 9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ। राज्य गठन के 24 साल बाद बड़ी मांग उठी है। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में टिहरी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय के द्वारा उत्तराखंड में 101 विधानसभाएं बनाने की मांग उठाई गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा सीटें भी 13 किए जाने की मांग की है जबकि राज्यसभा में कम से कम पांच सीट होने चाहिए। बता दें कि वर्तमान में उत्तराखंड में 70 विधानसभाएं हैं और पांच लोकसभा की सीटें हैं। विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी को पत्र भेजकर किशोर उपाध्याय ने उत्तराखंड विधानसभा से प्रस्ताव पास करने की मांग की है। ताकि प्रदेश के उस प्रस्ताव को केंद्र को भेजा जाए। किशोर उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा में और तेज गति देने के लिए ऐसा किया जाना बेहद जरूरी है। कई राज्यों में कम जनसंख्या और कम क्षेत्रफल के आधार पर विधानसभा और लोकसभा सीट निर्धारित है। ठीक उसी फार्मूले को उत्तराखंड में लागू किया जाना चाहिए। भाजपा विधायक जहां उत्तराखंड में विधानसभा सीट बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि अगर प्रदेश के विकास को लेकर भाजपा के विधायक चिंता कर रहे हैं तो 101 विधानसभा सीट हो जानी चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि परिसीमन होना चाहिए और विधानसभाओं की संख्या को भी बढ़ाना चाहिए। ये जनता के लिए और प्रदेश के विकास के लिए अच्छा है। आपको बता दें कि साल 2026 में पूरे देश में विधानसभा सीटों और लोकसभा सीटों की परिसीमन को लेकर सर्वे होना है। इस से ठीक पहले ही उत्तराखंड में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाई जाने की मांग उठने लगी है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग भी हो रही है। गौरतलब है कि भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने दावा किया है कि पूर्व में भी उन्होंने यह मांग दिल्ली तक उठाई थी। अब एक बार फिर नए परिसीमन के साथ ही उत्तराखंड में बढ़ रही पलायन की समस्याओं को रोकने के साथ ही विकास कार्यों के लिए नई विधानसभाओं का गठन करना आवश्यक है। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधायें विकसित करने से पलायन की समस्या पर रोक लगाई जा सकती है। जनप्रतिनिधियों को अपने अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाने के लिए संघर्ष करने की चुनौती भी खड़ी नहीं होगी।