उत्तराखंड में केदारनाथ सीट पर कल होगा मतदानः आशा नौटियाल और मनोज रावत के बीच हो सकती है कांटे की टक्कर
उपचुनाव में सत्तासीन भाजपा के लिए सीट और प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती,कांग्रेस ने बाबा केदार की सौगंध को बनाया ज्वलंत मुद्दा
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार 20 नवम्बर को मतदान होगा और भाजपा कांग्रेस सहित छह उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम मशीन में कैद होगा। वहीं केदारनाथ उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा ने केदारनाथ सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है तो वहीं कांग्रेस भी एकजुट होकर केदारघाटी में भाजपा भगाओ के नारे के साथ जीत का दम भर रही है। कांग्रेस बदरीनाथ और मंगलौर के बाद अब केदारनाथ सीट जीतकर एक बार फिर भाजपा सरकार पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश में है तो भाजपा उपचुनाव में जीत दर्ज कर अपना दबदबा कायम रखते हुए धामी सरकार को स्थिर रखने की चुनौती का सामना कर पाएगी। माना जा रहा है कि 23 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के परिणाम प्रदेश की सियासत का भविष्य भी तय करेगी। केदारनाथ विधानसभा सीट पर पिछले चुनावी मुकाबलों में भाजपा ने इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने अपना वर्चस्व कायम किया है। जबकि कांग्रेस के फायरब्रांड नेता मनोज रावत भी केदारनाथ सीट से कई बार मुकाबला कर चुके है। मोज रावत और आशा नौटियाल के बीच सीधा मुकाबला होने से यह उपुचनाव कई मिथक भी तोड़ सकता है। पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल किस दल की झोली में जाएगा, इसका खुलासा 23 नवंबर को मतगणना के बाद हो जाएगा। बहरहाल उपचुनाव में ताल ठोंक रहे छह प्रत्याशियों ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही माना जा रहा है। भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत सरकार के मंत्री,सांसद, संगठन के बड़े चेहरे और टिकट के दावेदार समेत सारी फौज केदारघाटी में उतारकर जनता को अपनी सक्रियता का संदेश दिया। भाजपा ने धामी सरकार के मंत्रियों को चुनाव के ऐलान से पहले ही केदारघाटी में तैनात कर दिया था। इसके साथ ही संगठन के बड़े चेहरे और रणनीतिकारों को भेज दिया था। जिससे उपचुनाव में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए। चुनाव के ऐलान के बाद सांसद भी पहुंचे और अब टिकट न मिलने से नाराज बताए जा रहे चेहरों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। दवंगत विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या के घर पहले भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने डिनर कर संदेश देने की कोशिश की इसके बाद ऐश्वर्या और कुलदीप दूसरे दावेदारों के साथ मंच साझा किया। इन सभी फैक्टर को साथ लेकर भाजपा इस उपचुनाव को जीतने के लिए खास रणनीति पर फोकस कर रही है। केदारनाथ सीट पर उपचुनाव की जीत और हार को तय करने के लिए कई फैक्टर काम कर सकते हैं। केदारनाथ मंदिर का मुद्दा दिल्ली में केदारनाथ मंदिर निर्माण का काम भले ही स्थगित कर दिया गया हो लेकिन उपचुनाव में ये मुद्दा सबसे ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है। कांग्रेस इस मुद्दे के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है। इस मुद्दे का असर भाजपा को परेशान भी कर रहा है। यही वजह है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी को बाबा केदार की सौगंध खाकर इस बहस को खत्म करने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं प्रत्याशी आशा नौटियाल तो सीएम की मौजूदगी में रो पड़ी। चुनाव में आंसू का रोल ऐसे समय में इमोशनल कार्ड माना जाता है खासकर जब दिवंगत विधायक की मृत्यु के बाद हो रहे उपचुनाव में जब सियासी दलों को सहानुभूति बटोरनी हो। ऐसे में केदारनाथ मंदिर का मुद्दा वोट की चोट पर कितना असर डालता है ये 23 तारीख को तय होगा। कांग्रेस ने इस चुनाव में भी अंकिता भंडारी हत्याकांड और महिला सुरक्षा को अहम मुद्दा बनाया हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा एक बेटी को न्याय नहीं दिला पाई है साथ ही महिला सुरक्षा पर सरकार को घेर रही है। हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे का ज्यादा असर वोट पर नजर नहीं आया। लेकिन क्या केदारनाथ उपचुनाव में अंकिता का मुद्दा असर करेगा, ये भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कांग्रेस ने अंकिता की हत्या को मुद्दा इसलिए बनाया हुआ है, क्योंकि भाजपा की दावेदार आशा नौटियाल एक महिला होने के साथ ही भाजपा की महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे को फिर से जमकर उठा रही है। केदारघाटी में आपदा और सुविधाएं भाजपा और कांग्रेस उपचुनाव में केदारघाटी में आपदा और विकास को चुनावी मुद्दा बनाए हुए है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने केदारघाटी में आपदा के समय में सही मेनेजमेंट के साथ काम नहीं किया और यात्रा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट रही तो भाजपा और सीएम धामी केदारघाटी में आई आपदा के दौरान रेस्क्यू कार्य और विकास की योजनाओं को गिना रही है। सीएम धामी का कहना है कि वे आपदा के दौरान खुद मोर्चा संभाल चुके हैं और बहुत कम समय में यात्रा को पटरी पर लाने काम भी किया। इसके साथ ही रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भी दोनों दल आमने सामने हैं। कांग्रेस की एकजुटता केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस के सभी बड़े नेता केदारघाटी में डेरा डाले रहे। पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, गणेश गोदियाल, प्रीतम सिंह, हरक सिंह जैसे दिग्गज केदारनाथ विधानसभा के गांव गांव जाकर प्रत्याशी मनोज रावत के लिए जमकर प्रचार कर रहे हैं। वहीं पूर्व सीएम हरीश रावत भी प्रचार में चिरपरिचित अंदाज में दिखे। प्रचार के दौरान महिला मतदाताओं को साधने के लिए खेत खलियान में भी गए। इसके साथ ही कांग्रेस के कुमांउ के नेता भी एकजुट होकर इस चुनाव को लड़ रहा है। इस चुनाव में कांग्रेसी एकजुटता नजर आ रही है। जो कि कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत है। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने दावा किया है कि केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में जहाँ भाजपा पानी की तरह बहाये जा रहे धन, बल और मशीनरी के साथ चुनाव मैदान में है वहीं कांग्रेस सीमित संसाधनों के साथ बाबा केदारनाथ जी के आशीर्वाद और जनता के भरोसे चुनाव मैदान में है। मुझे विश्वास है केदारनाथ विधानसभा की जनता बाबा केदारनाथ जी की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाने जा रही है।