‘धनतेरस की शॉपिंग’ करते समय ‘नकली’ आभूषणों की करे पहचान: हॉलमार्क देखकर ही खरीदें जेवर

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भारतीय मानक ब्यूरो के अधिनियम के तहत सभी ज्वेलरी में हॉलमार्क लगाना है अनिवार्य,आभूषण के पीछे अथवा अंदर बेहद बारीक अक्षरों में अंकित रहता है हॉलमार्क
रुद्रपुर। धनतेरस की शॉपिंग करते समय कई बार उपभोक्ताओं के हाथ गुणवत्ता हीन नकली माल लग जाता है। ऐसे में उनका त्यौहार तो बदमजा होता ही है, साथ ही वे सावधानी से शॉपिंग न करने के कारण साल भर पछताते रहते हैं। दीपावली एवं धनतेरस की खरीददारी के समय ‘उत्तरांचल दर्पण’ के पाठकों के पल्ले नकली माल ना पड़े, इसके लिए हम फेस्टिव सीजन में खरीदारी से संबंधित कुछ छोटी-छोटी, किंतु बेहद अहम सावधानियों का उल्लेख कर रहे हैं ,जिन्हें अपना कर बाजार की ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है। दीपावली के अवसर पर आम तौर पर लोग पूजन एवं प्रसाद सामग्री, मिठाइयां एवं आतिशबाजी के समान के अलावा कई महंगे सामान, मसलन सोने-चांदी के आभूषण ,इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एवं बर्तन आदि भी खरीदते हैं। इस खरीददारी के समय बरती गई छोटी सी सावधानी उपभोक्ताओं को बड़ी धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा सकती है ।बात आभूषणों की करें ,तो बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध प्रत्येक जेवर में भारतीय मानक ब्यूरो का हॉलमार्क होना आवश्यक है । आभूषण में हॉलमार्क का होना इस बात की गारंटी है,कि आभूषण भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा परीक्षित एवं प्रमाणित तथा शु( है। यह हॉलमार्क आमतौर पर आभूषण के पीछे बेहद बारीक अक्षरों में उकेरा रहता है। इसे 10एक्स मैग्नीफाइड ग्लास के उपयोग से बड़ी ही आसानी से जांचा- परखा जा सकता है। ज्ञात हो कि हॉलमार्क भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से निर्धारित एक मार्क है, जो 6 डिजिट का एचयूआईडी कोड होता है। भारतीय मानक ब्यूरो के अधिनियम के तहत सभी ज्वेलरी में हॉलमार्क लगाना अनिवार्य है। लिहाजा, उपभोक्ता जब ज्वेलरी खरीदने जाएं तो दुकानदार से हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही खरीदें। साथ ही दुकानदार से 10॰ मैग्नीफाइड ग्लास लेकर ज्वेलरी पर बने हॉलमार्क को देखें। जब इससे संतुष्ट हो जाएं, उसके बाद ही ज्वेलरी खरीदें। दरअसल, ज्वेलरी पर जो हॉलमार्क बनाया जाता है, वो ज्वेलरी के अंदर की तरफ होता है। साथ ही काफी छोटा होता है, जो सामान्य आंखों से पढ़ा नहीं जा सकता। ऐसे में 10॰ मैग्नीफाइड ग्लास लेकर उसे पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा उपभोक्ता भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से जारी बीआईएस केयर एप में हॉलमार्किंग के 6 डिजिट डालकर भी आभूषण के संबंध में सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस एप में वेरीफाई एचयूआईडी की सुविधा दी गई है। इस पर हॉलमार्किंग के 6 डिजिट डालकर यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि संबंधित आभूषण का निर्माण कहां हुआ है? साथ ही उसकी क्वालिटी क्या है? इससे उपभोक्ता को यह सुनिश्चित कर सकता है ,कि जो आभूषण वो खरीद रहा है, उसकी क्वालिटी कितनी है? अगर खरीदी गई ज्वेलरी पर हॉलमार्क नहीं है ,तो उपभोक्ता को चाहिए कि वो इसकी शिकायत भारतीय मानक ब्यूरो से करे। ताकि, अवैध रूप से बेची जा रही ज्वेलरी पर लगाम लगाते हुए कार्रवाई की जा सके। शिकायत करने के लिए उपभोक्ता को कहीं जाने की जरूरत नहीं है। बल्कि, बीआईएस केयर एप में शिकायत की सुविधा भी उपलब्ध है। कभी-कभी लोग अपने अनुसार और अपनी पसंद की डिजाइन की ज्वेलरी भी बनवाते हैं। लेकिन कोई भी ज्वेलरी चाहे वह रेडीमेड हो या फिर ऑर्डर देकर के बनवाई गई हो, उसमें हॉलमार्क को देखकर ही लेना चाहिए । नई व्यवस्था के तहत स्थानीय स्तर पर ज्वेलरी बनाने का काम कर रहे लोगों को भी अब रजिस्ट्रेशन दिया जा रहा है लिहाजा, जिस भी व्यक्ति से ज्वेलरी बनवा रहे हैं, उससे ये सुनिश्चित कर लें कि उसके पास बीआईएस का रजिस्ट्रेशन हो। क्योंकि, जब कोई भी लोकल ज्वेलरी निर्माता आभूषण बनाता है और वो बीआईएस से रजिस्टर्ड है, तो वो जांच केंद्र से जांच करवाकर हॉलमार्क लगवाता है। दीपावली एवं धनतेरस के अवसर पर लोग ज्वेलरी खरीदने के अलावा अन्य घरेलू चीजें जैसे बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान समेत अन्य चीजें भी खरीदते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो की आईएसआई मार्क स्कीम के तहत सभी उपभोक्ता उत्पादों में आईएसआई मार्किंग लगती है। लिहाजा, जब भी कोई भी चीज बाजार से खरीदें ,तो यह सुनिश्चित करें कि उस प्रोडक्ट पर बीआईएस की मुहर लगी हो और उस पर लाइसेंस नंबर लिखा हो।आभूषण के अलावा अन्य उत्पादों में 10 डिजिट का लाइसेंस नंबर होता है। ऐसे में उपभोक्ता बीआईएस एप्लीकेशन के जरिए भी उत्पादों की जानकारी ले सकते हैं। साथ ही खरीदारी से पहले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आर मार्क तथा बर्तनों में आईएसआई मार्क देखना उपभोक्ताओं को गुणवत्ताहीन उत्पाद खरीदने से बचा सकता है ।

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