भाजपा ने खेला मास्टरस्ट्रोकः नये फामूर्ले के साथ केदारनाथ सीट से दो बार विधायक रह चुकीं आशा नौटियाल को मैदान में उतारा

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पूर्व विधायक आशा नौटियाल के लंबे राजनीतिक अनुभव, क्षेत्र में मजबूत पकड़, दिवंगत नेता के आश्रित को टिकट नहीं देकर बड़ा संकेत भी दिया
देहरादून(उद संवाददाता)। आखिरकार भाजपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी केदारनाथ विधानसभा की सीट के उपचुनाव के लिए प्रत्याशी को लेकर लंबे मंथन और दावेदरों की जद्दोजहद के बाद पार्टी ने आखिरकार देर रात तस्वीर साफ कर दी। केदारनाथ से दो बार विधायक रह चुकीं आशा नौटियाल पर पार्टी ने भरोसा जताया है।वहीं केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मनोज रावत को चुनाव मैदान में उतारा है। दोनो राष्ट्रीय दलों के उम्मदवारों का ऐलान होने के बाद अब मुकाबला बेहद रोचक होने के समीकरण बन गये है। इस बार भाजपा ने नये फामूर्ले के साथ जहा दिवंगत नेता के आश्रित को टिकट नहीं देकर बड़ा संकेत भी दिया है । भाजपा के इस मास्टरस्ट्रोक से केदारनाथ विस सीट पर मुकाबला रोकच होगा। रविवार को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ने सभी समीकरणों पर विमर्श के साथ ही प्रांतीय नेतृत्व से बातचीत के बाद केदारनाथ सीट से पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाने पर मुहर लगाई। केदारनाथ विस सीट से दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्य रावत के अलावा वर्ष 2017 व 2022 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके कुलदीप सिंह रावत भी दौड़ में थे, लेकिन पार्टी ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल के लंबे राजनीतिक अनुभव, क्षेत्र में मजबूत पकड़ के अलावा चार बार कराए सर्वे रिपोर्ट को देखते हुए उन पर भरोसा जताया। वर्ष 2017 के बाद वह एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में वह केदारनाथ विस की पहली विधायक चुनी गईं, तब वह भाजपा से प्रत्याशी थीं। वर्ष 2007 में भी उन्हें क्षेत्रीय जनता ने अपना विधायक चुना था। इसके बाद दो बार चुनाव में उन्हें पराजय मिली। ऊखीमठ विकासखंड के दिलमी गांव निवासी आशा नौटियाल एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पति रमेश नौटियाल पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। वह वर्ष 1996 में पहली बार ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं। इसके बाद वर्ष 1997-98 में उन्हें भाजपा ने जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और वर्ष 1999 में उन्हें महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चुना गया। सौम्य व्यवहार और निरंतर जनसंपर्क की वजह से वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में आशा नौटियाल को भाजपा ने केदारनाथ विस से प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुईं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को पराजित किया था। वर्ष 2007 में भी भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित कर विजयश्री हासिल की। वर्ष 2012 में लगातार तीसरी बार वह भाजपा की प्रत्याशी घोषित हुईं, पर इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2016 में शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हो गईं और वर्ष 2017 में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया, जिस पर आशा नौटियाल ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। तब कांग्रेस से मनोज रावत विधायक चुने गए और निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे। कुछ समय बाद आशा नौटियाल की पुनः पार्टी में वापसी हुई और वह क्षेत्र में सक्रिय हो गईं। वर्ष 2022 में पार्टी ने पुनः शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गईं।

केदारनाथ क्षेत्र के सर्वांगीण और सर्वस्पर्शी विकास को सुनिश्चित करेगी जनता: सीएम
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में श्रीमती आशा नौटियाल को भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। सीएम धामी ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि पिछले 10 वर्षों में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में केदारनाथ की जनता ने अभूतपूर्व विकास का अनुभव किया है। क्षेत्रीय जनता इस विकास यात्रा को डबल इंजन सरकार के साथ आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है। केदारनाथ की देवतुल्य जनता से निवेदन है कि उपचुनाव में भाजपा को अपना बहुमूल्य समर्थन देकर क्षेत्र के सर्वांगीण और सर्वस्पर्शी विकास को सुनिश्चित करें।

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