हाय ये मजबूरी!! नजर नहीं आते फुटपाथ,कब सुधारेंगे हालात?

नहीं भरे जा रहे सड़कों पर बने गड्डे,फुटपाथों पर वाहनों और ठेलियों का कब्जा

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ऊधमसिंहनगर। प्रदेश में तेजी से विकसित होते शहरों में जागरूकता के अभाव से व्यवस्थायें पूरी तरह चरमरा गई है। शहरों में सबसे बड़ी समस्या यातायात अव्यवस्था की सामने आ रही है। वाहनों के बढ़ते दबाव में व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद न तो सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं और न ही सड़कों के किनारे बने फुटपाथों से कब्जे हटाये गये हैं। जो यातायात व्यवस्था बिगाड़ने में नासूर साबित हो रहे हैं। सड़कों पर जलभराव से वाहन चालकों के साथ ही राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के दौरान अधिकांश क्षेत्रें में सड़के जहां तालाब का रूप ले लेती हैं वहीं जगह जगह गहरे गढ़ढे हो गये हैं। आये दिन कई वाहन इन गड्ढों में हादसे के शिकार हो रहे हैं। लेकिन प्रशासन के अधिकारी इस ओर आंखें मूंद कर बैठ हैं। शहर में ई-रिक्शा, टेंपू, अन्य सवारी वाहन चालक जान जोखिम में डालकर खतरनाक सड़कों में वाहन चलाने को मजबूर हैं। जिसका खामियाजा राह गुजरते लोगों के साथ ही स्कूली बच्चों को भी भुगतना पड़ता है। आये दिन लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन करने के बावजूद सड़कों की हालत जस की तस बनी है। बिगड़ी व्यवस्थाओं के चलते लोगों को रोजाना दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। जबकि स्कूली बच्चों की तो जान ही खतरे में पड़ गई है। प्रशासन के ढुलमुल रवैये के चलते यातायात नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है लेकिन कोई इस तरफ देखने वाला नहीं। शहरों में यातायात व्यवस्था बनाने और ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करने के लिये अफसरों को अब वातानुकूलित कार्यालयों से बाहर आकर ठोस कार्यवाही करनी होगी तभी आम लोगों के साथ ही स्कूली बच्चों की मुश्किलों को दूर किया जा सकता है। बता दें बढ़ते हादसों और बिगड़ी यातायात व्यवस्था को लेकर हाल ही में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए यातायात नियमों का पालन कड़ाई से कराने के आदेश दिये हैं। जिसके बाद वाहनों में ओवर लोडिंग, दोपहिया वाहनों पर डबल हैलमेट, नशे में वाहन चलाना सहित अन्य यातायात से जुड़े नियमों को लेकर प्रशासन कुछ गंभीर हुआ है लेकिन हालात अभी तक सुधरे नहीं है। प्रशासन अपना काम तो कर रहा है लेकिन अभी तक लोगों में यातायात नियमों को लेकर पूरी तरह जागरूकता नहीं आ पाई है। दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की ही बात करें तो अभी तक अधिकांश लोग चालान से बचने के लिए हेलमेट का प्रयोग करते हैं न कि सुरक्षा की दृष्टि से। पूर्व में जिले के तत्कालीन एसएसपी नीलेश आनंद भरणे, एमएनए दीप्ती आर वैश्य व पूर्व जिलाधिकारी स्व- अक्षत गुप्ता ने अपने कार्यालयों से बाहर निकलकर शहर की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिये सराहनीय कार्य किये थे। जनपदवासी इनके कार्यों से काफी प्रभावित थे। व्यवस्थाओं में सुधार भी हुआ मगर उनके जाते ही व्यवस्थाएं फिर वही ढर्रे पर आ गयी। अतिक्रमण के खिलाफ एमएनए दीप्ति ने कई बार अभियान चलाया जबकि नीलेश ने यातायात व्यवस्थाओं को सुधारने के लिये चौराहों को भी विकसित कराया। आज शहर में व्याप्त अव्यवस्थाओं को देखकर पुराने अधिकारी याद आते हैं। ऐसा भी नहीं है कि मौजूदा अधिकारी कुछ नहीं कर रहे लेकिन जिस प्रकार मुख्य बाजार में अतिक्रमण हटाओ अभियान बिना किसी कार्ययोजना के चला दिया गया उससे व्यापारी वर्ग नाराज है। शहर का मुख्य बाजार नगर निगम की लापरवाही से कराह रहा है। यहां दोबारा फुटपाथ बनाये जाने की अभी तक कोई कार्ययोजना शुरू नहीं हो पायी है। जिससे ग्राहकों को आने जाने में दिक्कतें होती हैं। रूद्रपुर में भारी बारिश से हो रहे जलभराव से नगर के विभिन्न मार्गो पर सड़कों हालत बद से बदतर हो चुकी है। समाचार पत्रें द्वारा कई बार मामला उठाने के बाद भी जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों की नींद नहीं टूट रही है। जिले में यातायात व्यवस्थाओं की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। रूद्रपुर और काशीपुर में सीपीयू की तैनाती होने के बावजूद यातायात व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है। यातायात नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए रसूखदार लोग बेखौफ होकर वाहनों को नो पार्किंग जोन में खड़ा कर देते हैं। मुख्य बाजार में जगह जगह खड़े होने वाले चार पहिया वाहनों की वजह से भी यातायात व्यवस्था पंगु होती जा रही है। सीपीयू के जवान भले ही वाहन चालकों को यातायात व्यवस्थाओं का पाठ पढ़ा रहें है। लेकिन सड़क पर बेतरतीब खड़े वाहनों पर सीपीयू की नजर भी नहीं जाती। पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण लोगों ने कई सड़कों को ही पार्किंग स्थल में तब्दील कर दिया है।

चौराहों पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला
रूद्रपुर। यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिये आये दिन नये नये नियम लागू किये जा रहे हैं लेकिन इनका असर धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। यातायात पुलिस और सीपीयू महज दोपहिया वाहनों को हेलमेट पहनने की नसीहत देने और खौफ दिखाकर चालान काटने में ही व्यस्त दिखाई देती है। शहर के मुख्य चौराहों पर लगाई गई ट्रैफिक लाईट पिछले कई महीनों से शोपीस बनी हुई है। इन चौराहों से रोजाना गुजरने वाले आला अधिकारी इन्हें देखकर भी नजरअंदाज कर देते हैं। चौराहों पर यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए यातायात पुलिस के जवान खानापूर्ति साबित हो रहे हैं, जिसके चलते लोगों को अकसर जाम से जूझना पड़ रहा है। स्कूल खुलने और बंद होने के समय तो मुख्य मार्गों सहित चौराहों पर यातायात व्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा जाती है। लेकिन इसके लिए भी प्रशासन ने कोई कार्ययोजना नहीं बनाई है। नगर के निजी और सरकारी विद्यालयों के आस पास पुलिस कर्मी तैनात नहीं होने से भी यातायात बाधित होता है। सीपीयू मात्र चालान काटने में को ही अपना दायित्व मानती है। इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद डबल हेलमेट के नियम से सीपीयू के जवान चालान काटने में और अधिक व्यस्त हो गये हैं। चालान काटने में भी कई बार पारदर्शिता नहीं होने पर कई बार सीपीयू के साथ वाद विवाद होना आम बात हो गयी है। लोगों में सीपीयू की कार्यप्रणाली को लेकर भी नाराजगी है। लोगों का मानना है कि सीपीयू का काम सिर्फ चालान काटना ही नहीं होना चाहिए बल्कि अकसर सड़क पर लगने वाले जाम और यातायात अव्यवस्था को सुधारने के लिए भी सीपीयू को तत्परता दिखानी चाहिए। हेलमेट की अनिवार्यता लंबे रूट पर जाने वालों के लिये होनी चाहिये।

फुटपाथों पर कब्जे से बढ़ रही दिक्कतें
रूद्रपुर। सड़कों पर फुटपाथ में कब्जे की वजह से भी सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है इससे अकसर जाम की समस्या भी बनी रहती है। स्कूली बच्चों को सड़कों पर वाहनों के साथ रेंगना पड़ता है। सड़कों के किनारे जगह जगह अतिक्रमण किया जा रहा है। कुछ दुकानदारों ने जहां अपनी दुकानों के बोर्ड सड़कों से सटाकर लगाये हुए हैं वहीं अपने वाहनों को भी दुकानों के आगे ही खड़ा कर देते हैं। कई ठेलीवालों ने फुटपाथ पर अपना कब्जा जमा लिया है। जगह जगह फल, सब्जी, कपड़े, भुट्टे, आईसक्रीम,चाउमीन, मोमो की ठेलियों सजी हुई हैं। जिससे सड़क से गुजरना मुश्किल होता जा रहा है। नगर के मुख्य बाजार समेत चौराहों, डीडी चौक, इंदिरा चौक, गांधी पार्क, गावा चौक, अग्रसेन चौक सहित दुकानों, बैंकों, शोरूम, रेस्टोरेट समेत अधिकांश भवनों के आगे बने हुए फुटपाथों पर पूरी तरह से वाहनों का कब्जा रहता है। यही न हीं सड़कों पर जगह जगह निर्माण सामग्री रखने से भी दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में राह गुजरते लोगों और स्कूली बच्चों की भीड़ कभी दुघटनाओं का शिकार हो सकते हैं। जिला प्रशासन और यातायात पुलिस को इस ओर गंभीरता से कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

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