नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में उमड़ी भीड,कोरोना के चलते सभी इंतजाम
रूद्रपुर/काशीपुर/हल्द्वानी। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने को लेकर मंदिरों में श्र(ालुओं की भारी उमड़ी। शक्ति के उपासको ने घरों में मंगल कलश स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हुए घर परिवार के सुख समृ(ि की कामना की। नवरात्र के मौके पर क्षेत्र के तमाम स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों के भी आयोजन किए जा रहे हैं। शहर के पांच मंदिर, दुर्गा मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, हरि मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में आज भक्तों ने पहुंचकर पूजा अर्चना की। काशीपुर-नवरात्र के प्रथम दिन चैती मेला मैदान स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर, गिरीताल स्थित मां चामुंडा देवी मंदिर, मोहल्ला कानूनगोयान स्थित मां मनसा देवी मंदिर, खड़कपुर देवीपुरा स्थित मां खोखरा देवी मंदिर, आवास विकास स्थित मां दुर्गा मंदिर, मोहल्ला कवि नगर स्थित मां दुर्गा देवी मंदिर, शिव गौरी विहार स्थित शिव गौरी मंदिर समेत क्षेत्र की तमाम देवी मंदिरों में मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने को लेकर श्र(ालुओं की तड़के से ही भीड़ लग गई। मंदिरों में लगातार बज रहे घंटे घड़ीयालों की गूंज से इलाका पूरी तरह भक्तिमय हो उठा है। घरों में भी मां के उपासको ने सुबह स्नान के बाद घट स्थापना की। उसमें जौ लगाएं। आम के पत्तों से दरवाजे पर बंदनवार लगाने के उपरांत मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा अर्चना शुरू हुई। कुमकुम अक्षत से तिलक कर पुष्प नारियल कलावा पान सुपारी जायफल कमल गट्टðा पंचमेवा धूप दीप नवेध घी शहद फल मिष्ठान आदि से मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप की विधिवत पूजा अर्चना कर हवन के उपरांत श्र(ालुओं ने घर परिवार के सुख समृ(ि की कामना की। इस दिन तमाम घरों में अखंड ज्योति भी जलाए गए। मान्यता है कि नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की आराधना करने से प्राणी मात्र को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शक्ति स्वरूपा की आराधना करने से संकट दूर होते हैं। और घर परिवार में सुख समृ(ि का वास होता है। शारदीय नवरात्र के मौके पर क्षेत्र के तमाम स्थानों पर माता के जगराते के भी आयोजन किए जा रहे हैं। हल्द्वानी- प्राचीन देवी मंदिर में प्रथम नवरात्र पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। पंड़ित गणेश जी ने बताया कि कोरोना के चलते सभी इंतजाम किए गए थे। महिलाओं ने देवी मां की पूजा अर्चना की। पूर्व की भांति हवन यज्ञ हुआ।